एक सुंदर और हरा-भरा जंगल था जहाँ हर प्रकार के जानवर निवास करते थे। इस जंगल में एक छोटी सी गिलहरी रहती थी, जिसका नाम चिरपण था। चिरपण एक नन्ही सी गिलहरी थी, लेकिन उसकी बहादुरी की कहानियाँ पूरे जंगल में मशहूर थीं। उसकी छोटी-छोटी बातों और कार्यों से सभी जानवर प्रभावित होते थे।
चिरपण का दिल बड़ा था और वह हमेशा दूसरों की मदद करने के लिए तैयार रहती थी। जंगल में उसकी बहादुरी और ईमानदारी के लिए सभी जानवर उसकी सराहना करते थे। लेकिन एक दिन, जंगल में एक बड़ी समस्या उत्पन्न हो गई।
जंगल के एक कोने में एक गहरा और खतरनाक गड्डा बन गया था। यह गड्डा इतना बड़ा और गहरा था कि इससे जानवरों की आवाजें भी गहराई में खो जाती थीं। गड्डे की वजह से जंगल में जानवरों का आना-जाना कठिन हो गया था और वे सभी परेशान थे। गड्डे के चारों ओर बहुत सारे घातक कीड़े और सांप भी घर बना चुके थे।
सभी जानवरों ने मिलकर एक योजना बनाई कि गड्डे को भरने का कोई उपाय निकाला जाए, लेकिन समस्या यह थी कि गड्डा बहुत गहरा था और किसी के पास उस गहराई को भरने की शक्ति नहीं थी। जानवरों ने सोचा कि शायद चिरपण इस समस्या का समाधान ढूंढ सके।
चिरपण ने जब गड्डा देखा, तो उसे बहुत चिंता हुई। उसने सोचा, “अगर हम इस गड्डे को भरने का उपाय नहीं करेंगे, तो सभी जानवरों की जिंदगी मुश्किल हो जाएगी। मुझे इस समस्या का समाधान निकालना होगा।”
चिरपण ने गड्डे का अच्छी तरह से निरीक्षण किया और देखा कि गड्डे के चारों ओर ढेर सारे पत्थर, लकड़ी के टुकड़े और सूखे पत्ते पड़े हुए थे। चिरपण ने समझा कि इन वस्तुओं का उपयोग गड्डे को भरने में किया जा सकता है।
चिरपण ने अपनी बहादुरी और समझदारी का उपयोग करते हुए एक योजना बनाई। उसने सभी जानवरों को एकत्र किया और उन्हें अपनी योजना बताई, “हम गड्डे को भरने के लिए इन पत्थरों और लकड़ी के टुकड़ों का उपयोग करेंगे। मैं सबसे पहले छोटी-छोटी वस्तुओं को गड्डे में डालूंगी और धीरे-धीरे इसे भरने की कोशिश करूंगी। आप सभी मुझे मदद करें और गड्डे के चारों ओर गिरे हुए पत्थर और लकड़ी के टुकड़े इकट्ठा करें।”
सभी जानवरों ने चिरपण की योजना को मान लिया और काम शुरू कर दिया। चिरपण ने अपनी छोटी-छोटी पैरों का उपयोग करके गड्डे के अंदर पत्थर और लकड़ी के टुकड़े डालने शुरू किए। जबकि अन्य जानवर बाहर से चीजें लाकर चिरपण की मदद कर रहे थे।
चिरपण ने अपनी छोटी सी शक्ति और बहादुरी से गड्डे को भरने की कठिन चुनौती का सामना किया। वह दिन-रात बिना थके काम करती रही, और जानवरों ने उसकी मदद की। धीरे-धीरे गड्डा भरने लगा, लेकिन समस्या यह थी कि गड्डे के अंदर कुछ कीड़े और सांप भी छिपे हुए थे।
चिरपण ने देखा कि गड्डे में कुछ कीड़े और सांप परेशान हो रहे थे और उनकी वजह से काम करने में कठिनाई हो रही थी। उसने ठान लिया कि वह इन सभी खतरनाक जीवों का सामना करेगी। उसने अपने साहस का उपयोग करते हुए गड्डे में से सांपों और कीड़ों को बाहर निकालने का फैसला किया।
चिरपण ने सांपों को धीरे-धीरे और सुरक्षित तरीके से बाहर निकाला और उन्हें जंगल के दूरदराज के हिस्से में ले जाकर छोड़ दिया। उसने कीड़ों को भी धीरे-धीरे गड्डे से बाहर निकालने की कोशिश की।
अंततः, चिरपण और सभी जानवरों ने मिलकर गड्डे को पूरी तरह से भर दिया। गड्डा अब सुरक्षित हो गया था और जानवरों को जंगल में आने-जाने में कोई कठिनाई नहीं हुई। सभी जानवर बहुत खुश थे और चिरपण की बहादुरी की सराहना की।
सभी जानवरों ने मिलकर एक खास समारोह आयोजित किया और चिरपण को उनके साहस और समर्पण के लिए सम्मानित किया। समारोह में चिरपण को “जंगल की बहादुर गिलहरी” का सम्मान दिया गया।
चिरपण ने कहा, “मैंने केवल अपनी छोटी सी शक्ति का उपयोग किया है, लेकिन सभी जानवरों की मदद से हम इस समस्या का समाधान निकाल पाए। जब हम सब मिलकर काम करते हैं, तो हम बड़ी से बड़ी चुनौतियों का सामना कर सकते हैं।”
इस कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि बहादुरी और साहस केवल शारीरिक ताकत से नहीं, बल्कि समझदारी और एकता से भी आती है। चिरपण ने यह साबित किया कि छोटी-छोटी चीजों का सही उपयोग और सबकी मदद से बड़ी समस्याओं का समाधान किया जा सकता है। हमें भी अपनी छोटी-छोटी ताकतों का सही उपयोग करना चाहिए और कठिनाइयों का सामना मिलकर करना चाहिए।
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