एक बार की बात है, एक छोटे से गाँव में सुमन नाम की एक निडर और प्यारी लड़की रहती थी। सुमन का दिल बहुत बड़ा था और वह हमेशा दूसरों की मदद करने के लिए तैयार रहती थी। गाँव के लोगों ने उसे उसकी हिम्मत और दयालुता के लिए बहुत सराहा।
गाँव के पास एक घना जंगल था, जिसे लोग “भय का जंगल” कहते थे। इस जंगल में कोई भी जाने की हिम्मत नहीं करता था, क्योंकि वहाँ एक भयानक राक्षस के होने की कहानियाँ प्रचलित थीं। लोग कहते थे कि जो भी उस जंगल में गया, वह कभी वापस नहीं आया।
एक दिन, सुमन ने सोचा कि वह इस रहस्य को सुलझाएगी और राक्षस से मिलकर उसकी सच्चाई जानने की कोशिश करेगी। उसने अपने माता-पिता से कहा, “मैं उस जंगल में जा रही हूँ और राक्षस से मिलकर उसकी सच्चाई जानूंगी।” माता-पिता ने पहले तो मना किया, लेकिन सुमन की दृढ़ता देखकर उन्होंने उसे जाने की इजाजत दे दी और उसके लिए आशीर्वाद दिया।
सुमन ने अपने साथ कुछ खाना, पानी और एक टॉर्च लिया और जंगल की ओर चल पड़ी। जब वह जंगल के अंदर गई, तो उसे हर तरफ अजीब-अजीब आवाजें सुनाई दीं और डरावनी परछाइयाँ दिखीं। लेकिन सुमन ने अपने डर को दूर किया और हिम्मत के साथ आगे बढ़ी।
कुछ देर चलने के बाद, सुमन को एक बड़ी गुफा दिखाई दी। वह समझ गई कि यही वह गुफा है जहाँ राक्षस रहता है। उसने धीरे से गुफा के अंदर झाँका और देखा कि राक्षस एक कोने में बैठा हुआ है। राक्षस का चेहरा उदास था और उसकी आँखों में आँसू थे। सुमन को देखकर बहुत हैरानी हुई क्योंकि उसने सोचा था कि राक्षस भयानक और डरावना होगा, लेकिन वह तो बहुत ही दुखी लग रहा था।
सुमन ने हिम्मत जुटाकर राक्षस से बात करने का फैसला किया। उसने कहा, “नमस्ते! मेरा नाम सुमन है। मैं यहाँ आई हूँ ताकि तुम्हारे बारे में जान सकूं। लोग कहते हैं कि तुम बहुत डरावने हो, लेकिन तुम तो उदास लग रहे हो।”
राक्षस ने सुमन की ओर देखा और अपनी गहरी आवाज में कहा, “लोग मुझसे डरते हैं क्योंकि मैं अलग दिखता हूँ। लेकिन मैं किसी को नुकसान नहीं पहुँचाना चाहता। मैं यहाँ अकेला रहता हूँ क्योंकि कोई मुझसे दोस्ती नहीं करना चाहता।”
सुमन को राक्षस की बातें सुनकर बहुत दुख हुआ। उसने कहा, “तुम्हारे अलग दिखने से कोई फर्क नहीं पड़ता। मैं तुम्हारी दोस्त बनना चाहती हूँ।” सुमन ने अपने साथ लाए हुए खाने का सामान राक्षस के साथ बाँटा और दोनों ने मिलकर खाया। सुमन ने राक्षस को गाँव के बारे में बताया और उसे आश्वासन दिया कि वह उसे गाँव के बच्चों से मिलवाएगी।
अगले दिन, सुमन ने गाँव के सभी बच्चों को इकट्ठा किया और उन्हें राक्षस से मिलवाने जंगल ले गई। पहले तो बच्चे डर गए, लेकिन सुमन ने उन्हें समझाया कि राक्षस भी हमारी तरह ही एक प्राणी है और उसे भी दोस्ती की जरूरत है। धीरे-धीरे, बच्चे राक्षस के पास आए और उससे बातें करने लगे। राक्षस ने बच्चों के साथ खेला और खुश हुआ।
गाँव के लोग भी धीरे-धीरे राक्षस को स्वीकार करने लगे। राक्षस ने गाँव में आकर सभी की मदद करनी शुरू की। उसने खेतों में काम किया, पानी लाने में मदद की और बच्चों के साथ खेला। राक्षस का असली नाम राजू था, और अब सभी लोग उसे इसी नाम से पुकारने लगे।
एक दिन, गाँव में एक बड़ा संकट आ गया। अचानक से बाढ़ आ गई और गाँव के कई घर बह गए। गाँव के लोग बहुत परेशान हो गए और उन्हें नहीं पता था कि वे क्या करें। राजू ने अपनी ताकत का उपयोग करके गाँव के लोगों की मदद की। उसने बाढ़ में फंसे लोगों को बाहर निकाला और उन्हें सुरक्षित स्थान पर पहुँचाया। राजू की मदद से गाँव के लोग सुरक्षित हो गए और उन्होंने राजू का बहुत धन्यवाद किया।
अब राजू गाँव का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन गया था। सभी लोग उसकी तारीफ करते और उसे प्यार करते। सुमन और राजू की दोस्ती ने यह साबित कर दिया कि किसी की बाहरी दिखावट से उसकी अच्छाई को नहीं मापा जा सकता। सच्ची दोस्ती और दयालुता से हम किसी की भी जिंदगी बदल सकते हैं।
इस तरह, सुमन और राजू ने पूरे गाँव को एक महत्वपूर्ण सीख दी। सच्ची दोस्ती और दयालुता से ही हम सभी समस्याओं का समाधान कर सकते हैं और एक खुशहाल जीवन जी सकते हैं।
शिक्षा:
इस कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि हमें दूसरों को उनके बाहरी रूप से नहीं आंकना चाहिए। सच्ची दोस्ती और दयालुता से हम किसी की भी जिंदगी बदल सकते हैं। हमें साहस और प्रेम से काम लेना चाहिए और दूसरों की मदद करनी चाहिए।
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