एक हरे-भरे जंगल में, एक छोटी सी चींटी और एक बड़ा हाथी रहते थे। चींटी का नाम चूची और हाथी का नाम बलराम था। चूची और बलराम दोनों अपने-अपने तरीकों से खुश थे, लेकिन उनके बीच कोई खास दोस्ती नहीं थी।
चूची दिन भर खाने की खोज में लगी रहती और बलराम बड़े आराम से अपनी ज़िंदगी बिताता था। एक दिन, जंगल में एक बड़ा तूफ़ान आया। तेज़ हवा और बारिश से जंगल में सब कुछ अस्त-व्यस्त हो गया। चूची और बलराम अपने-अपने घरों में सुरक्षित रहने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन तूफ़ान इतना भयंकर था कि सभी जानवर घबराए हुए थे।
तूफ़ान के बाद, जंगल में बहुत सारी तबाही हुई। चूची का घर पूरी तरह से तबाह हो गया और उसे कहीं छिपने के लिए सुरक्षित स्थान नहीं मिला। बलराम अपने बड़े और मजबूत शरीर के कारण तूफ़ान से बच गया, लेकिन उसने देखा कि चूची परेशान और लाचार है।
बलराम ने सोचा, “मैं बड़ी हूँ और मुझे चूची की मदद करनी चाहिए।” उसने चूची को देखा और तुरंत उसकी मदद के लिए आगे बढ़ा। बलराम ने अपने विशाल पैरों से एक बड़ा पत्ते का आश्रय तैयार किया और चूची को वहाँ सुरक्षित करने का प्रस्ताव दिया। चूची ने बलराम की मदद को धन्यवाद दिया और उसने पत्ते के नीचे शरण ली।
चूची ने कहा, “धन्यवाद बलराम! तुमने मेरी बहुत बड़ी मदद की है। मैं बहुत परेशान थी और अब तुम्हारी वजह से मुझे सुरक्षित स्थान मिला है।”
बलराम ने मुस्कराते हुए कहा, “कोई बात नहीं, चूची। मैं तुम्हारी मदद करना चाहता था। तूफ़ान ने सब कुछ बर्बाद कर दिया है और हम सभी को एक-दूसरे की मदद करनी चाहिए।”
तूफ़ान के बाद, चूची और बलराम ने मिलकर जंगल की साफ-सफाई और मरम्मत का काम शुरू किया। बलराम अपनी बड़ी ताकत का इस्तेमाल करके पेड़ों की गिरती शाखाओं को हटाने में मदद करता और चूची अपने छोटे लेकिन तेज़ कदमों से छोटे-छोटे काम करने लगी।
एक दिन, चूची को एक बड़ी समस्या का सामना करना पड़ा। उसने देखा कि कुछ कीड़े जो उसकी तरह ही छोटे थे, फँस गए थे और उन्हें बाहर निकलने का रास्ता नहीं मिल रहा था। चूची की समझ में नहीं आ रहा था कि वह उन्हें कैसे मदद करे।
बलराम ने चूची की परेशानी को देखा और तुरंत उसकी मदद के लिए आगे आया। उसने अपनी सूंड से कीड़ों को उठाया और उन्हें सुरक्षित स्थान पर पहुँचा दिया। चूची ने बलराम को धन्यवाद दिया और कहा, “तुम्हारी मदद से ये कीड़े सुरक्षित हो गए। तुम्हारी दयालुता और ताकत ने मेरी चिंता को दूर कर दिया।”
इसके बाद, चूची और बलराम ने महसूस किया कि वे एक-दूसरे के अच्छे दोस्त बन गए हैं। उन्होंने मिलकर जंगल को फिर से सुंदर बनाने का संकल्प लिया और एक दूसरे की मदद करने लगे।
एक दिन, जंगल के राजा ने चूची और बलराम को बुलाया और कहा, “मैंने देखा है कि तुम दोनों ने मिलकर जंगल की बहुत मदद की है। तुम्हारी मित्रता और सहयोग से जंगल में शांति और समृद्धि लौट आई है।”
राजा ने चूची और बलराम को एक विशेष पुरस्कार देने का निर्णय लिया। चूची और बलराम को जंगल के सभी जानवरों की ओर से सम्मानित किया गया और उन्हें सबसे अच्छे दोस्त और सहयोगी के रूप में मान्यता दी गई।
चूची और बलराम ने मिलकर जंगल में शांति और खुशहाली बनाए रखने का संकल्प किया और हमेशा एक-दूसरे की मदद करने का वादा किया।
इस कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि किसी भी समस्या का समाधान मिलकर और सहयोग से किया जा सकता है। चाहे हम कितने भी अलग क्यों न हों, अगर हम एक-दूसरे की मदद करें और मिलकर काम करें, तो हम बड़ी से बड़ी समस्याओं को भी सुलझा सकते हैं। चूची और बलराम की मित्रता ने हमें यह सिखाया कि दोस्ती और सहयोग से हम सब मिलकर एक बेहतर और खुशहाल दुनिया बना सकते हैं।
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