गाँव के एक छोटे से कोने में एक कुशल कुम्हार रहता था जिसका नाम श्रीराम था। श्रीराम की मिट्टी की चीजें हमेशा गाँववालों की प्रशंसा प्राप्त करती थीं। उसके बनाए हुए घड़े, बर्तन और प्याले गाँव में हर जगह इस्तेमाल होते थे। उसकी कला में एक खास बात थी—वह हर वस्तु को प्यार और मेहनत से बनाता था।
एक दिन, श्रीराम ने सोचा कि वह एक ऐसा घड़ा बनाएगा जो न केवल सुंदर हो बल्कि उपयोगी भी हो। उसने एक बड़े और गोल घड़े की योजना बनाई और काम में लग गया। घड़े को सुंदर बनाने के लिए उसने उसे बहुत अच्छे से सजाया और उसके ऊपर विभिन्न रंग-बिरंगे चित्र उकेरे। जब घड़ा तैयार हुआ, तो वह वास्तव में बहुत ही आकर्षक और अनोखा लग रहा था।
श्रीराम ने सोचा कि इस घड़े को गाँव के मेले में ले जाएगा, जहाँ बहुत सारे लोग आएंगे और उसकी कला को देखेंगे। मेले में श्रीराम ने अपना घड़ा बहुत ही गर्व से प्रदर्शित किया। गाँववालों ने घड़े की सुंदरता की तारीफ की और सभी को लगता था कि यह घड़ा वाकई में अनोखा है।
लेकिन तभी, एक बच्चा खेलते-खेलते घड़े के पास आ गया और उसने गलती से घड़े को ठोकर मार दी। घड़ा एकदम से गिर गया और टूट गया। श्रीराम ने देखा कि उसकी मेहनत और कला का पूरा काम एक झटके में बर्बाद हो गया था। वह बहुत दुखी हुआ लेकिन उसने हार मानने का निश्चय नहीं किया। उसने सोचा, “मेरे घड़े की सुंदरता महत्वपूर्ण है, लेकिन उसकी मजबूती भी उतनी ही जरूरी है। अगली बार मैं ऐसा घड़ा बनाऊँगा जो सुंदरता के साथ-साथ मजबूती में भी उत्कृष्ट हो।”
श्रीराम ने नई योजना बनाई और एक नया घड़ा बनाने का निर्णय लिया। उसने इस बार घड़े की बनावट में बदलाव किया और उसमें विशेष प्रकार की मिट्टी का प्रयोग किया जो अधिक टिकाऊ थी। उसने घड़े की डिजाइन को भी ध्यानपूर्वक बनाया, ताकि वह टूटने के लिए कम संवेदनशील हो।
जब नया घड़ा तैयार हुआ, तो वह देखने में भी सुंदर था और मजबूत भी। श्रीराम ने उसे फिर से मेले में प्रदर्शित किया। लोगों ने नया घड़ा देखा और उसकी तारीफ की। एक महिला ने पूछा, “श्रीराम, इस बार आपके घड़े में क्या विशेषता है?”
श्रीराम ने मुस्कराते हुए जवाब दिया, “इस बार मैंने न केवल सुंदरता पर ध्यान दिया, बल्कि उसकी मजबूती और टिकाऊपन पर भी ध्यान दिया। मैंने एक विशेष प्रकार की मिट्टी का उपयोग किया और डिजाइन को ऐसा बनाया कि घड़ा न केवल देखने में अच्छा हो बल्कि उपयोग में भी टिकाऊ हो।”
लोगों ने देखा कि श्रीराम का नया घड़ा न केवल सुंदर था बल्कि मजबूत और टिकाऊ भी था। सभी ने उसकी मेहनत और सुधार की सराहना की।
कुछ दिनों बाद, गाँव में एक बड़ा बाढ़ आया। गाँव के कुएँ और तालाब पानी से भर गए थे और पानी की बहुत अधिक आवश्यकता थी। गाँववालों ने देखा कि बाढ़ के कारण पानी के संधारण के लिए कोई अच्छा तरीका नहीं था।
श्रीराम ने सोचा, “मेरे घड़े मजबूत हैं और मैं उनका उपयोग पानी संग्रहण के लिए कर सकता हूँ।” उसने अपने घड़ों को पानी भरने और संगठित करने के लिए गाँववालों की मदद में लगाया। घड़े ने पानी को सुरक्षित रखा और गाँववालों को आवश्यक पानी प्रदान किया।
गाँववाले श्रीराम की कुम्हारगिरी की बहुत सराहना करने लगे। उन्होंने देखा कि श्रीराम की कला न केवल सुंदरता में बेहतरीन थी बल्कि उपयोगिता में भी उत्कृष्ट थी।
इस घटना ने श्रीराम को एक महत्वपूर्ण सीख दी। उसने समझा कि केवल बाहरी सुंदरता ही महत्वपूर्ण नहीं है, बल्कि किसी भी वस्तु की मजबूती और टिकाऊपन भी आवश्यक है। उसने सीखा कि एक वस्तु की सफलता उसकी उपयोगिता और मजबूत निर्माण पर निर्भर करती है।
इस कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि किसी भी काम में केवल सुंदरता ही नहीं, बल्कि मजबूती और टिकाऊपन भी महत्वपूर्ण होते हैं। हमें अपने काम में बाहरी सुंदरता के साथ-साथ उसकी उपयोगिता और मजबूती पर भी ध्यान देना चाहिए। श्रीराम की कहानी ने हमें यह सिखाया कि एक सफल और उत्कृष्ट काम वह होता है जिसमें सुंदरता और मजबूती दोनों का संयोजन हो।
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