घने जंगल में, एक विशाल बरगद का पेड़ था। इस पेड़ पर बहुत सारी चिड़ियाँ, गिलहरियाँ और अन्य छोटे जानवर रहते थे। इस पेड़ की सबसे खास बात यह थी कि इसके नीचे एक जादुई आम का पेड़ था, जो साल में सिर्फ एक ही बार फलता था। उस आम को जिसने भी खाया, वह बहुत बुद्धिमान और शक्तिशाली हो जाता था।
गिलहरी चिकी बहुत ही चतुर और फुर्तीली थी। वह हमेशा कुछ नया खोजने और सीखने में लगी रहती थी। एक दिन, चिकी ने सुना कि जादुई आम का मौसम आने वाला है। उसने ठान लिया कि इस बार वह उस जादुई आम को पाएगी और अपने दोस्तों के साथ बाँटेगी।
लेकिन जंगल में एक चालाक लोमड़ी भी रहती थी, जिसका नाम लोमी था। लोमी ने भी जादुई आम की कहानी सुनी थी और उसने ठान लिया कि वह आम सिर्फ उसे ही मिलेगा। लोमी ने एक चालाक योजना बनाई और आम के पेड़ के पास पहरा देने लगी।
चिकी ने जब देखा कि लोमी आम के पेड़ के पास पहरा दे रही है, तो उसने एक चालाक योजना बनाई। उसने अपने दोस्तों को बुलाया और उन्हें अपनी योजना बताई। सबने मिलकर एक योजना बनाई और काम पर लग गए।
चिकी ने एक छोटी सी तितली को भेजा जो लोमी के पास जाकर उसे तंग करने लगी। तितली ने लोमी के चारों ओर उड़ना शुरू कर दिया, जिससे लोमी परेशान हो गई। इस बीच, चिकी और उसके दोस्तों ने मिलकर आम को पाने का रास्ता बनाया। चिकी ने अपने फुर्तीले पंजों से पेड़ पर चढ़कर जादुई आम तोड़ लिया।
चिकी ने जादुई आम को अपने सभी दोस्तों के साथ बांटा। सभी ने मिलकर आम खाया और बहुत बुद्धिमान और शक्तिशाली हो गए। लोमी ने जब यह देखा, तो उसे अपनी चालाकी पर पछतावा हुआ और उसने चिकी और उसके दोस्तों से माफी मांगी।
इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि टीम वर्क और चालाकी से हम किसी भी मुश्किल को हल कर सकते हैं। हमें हमेशा अपने दोस्तों के साथ मिलकर काम करना चाहिए और एक-दूसरे की मदद करनी चाहिए। किसी भी समस्या का समाधान बुद्धिमानी और संयम से किया जा सकता है।
मित्रता, चालाकी और सहयोग की इस कहानी को पढ़कर बच्चों में सही मूल्यों का विकास होता है।
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